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CAA पर क्यों बोला OIC?
मोहम्मद अहमद काज़मी द्वारा "नज़र दूनिया पर" कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और हाल ही में अयोध्या के फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) द्वारा जारी किए गए एक बयान पर एक रिपोर्ट पेश की गयी है। काजमी ने कहा कि यह बयान कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन के मद्देनजर अपनी विश्वसनीयता खोने के बाद एक क्षति नियंत्रण अभ्यास है, जहां ईरान और तुर्की के राष्ट्रपति हसन रूहानी और रजब तय्यब एर्दोगन और कतर के अमीर तमीम बिन हमाद अल-सानी ने भाग लिया था। मलेशियाई प्रधान मंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी NRC के खिलाफ बात की है और फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के अपराधों की जांच के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के फैसले का समर्थन किया है। काज़मी ने कहा कि ओआईसी ने एनआरसी और अयोध्या पर बयान जारी करके अपनी घटती प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने की कोशिश की है।
“Nazar Duniya Par” by Mohammad Ahmad Kazmi carries a report on a statement issued by Organization of Islamic Cooperation (OIC) on India’s National Register of Citizenship (NRC) and recent Ayodhya verdict. Kazmi said that the statement is a damage control exercise after losing its credibility in the wake of Kuala Lumpur Summit where Presidents of Iran and Turkey Hassan Rouhani and Recep Tayyip Erdogan and Emir of Qatar Tamim Bin Hamad Al-Thani participated. Malaysian Prime Minister Mahathir Mohamad has also spoken against NRC and supported International Criminal Court’s decision to investigate Israeli crimes against Palestinians. Kazmi observed that OIC has tried to regain its diminishing prestige by issuing statement on NRC and Ayodhya.
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